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Real Story - Part IX

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दोस्तों यह कहानी का नौवां पार्ट है अगर आपलोगो ने पहले के पार्ट नहीं देखे है तो मैं अपने वेबसाइट का लिंक कहानी के अंत में दे दूंगा। आपलोग उस लिंक पर क्लिक कर के मेरे सारे ब्लॉग के आर्टिकल पढ़ सकते है। दोस्तों अगर ये कहानी आपलोगो को अच्छी लगे तो मेरे ब्लॉग को फॉलो करना न भूले।  Grandmother एक दिन वह लड़का अपने दादीजी के साथ घास काटने के लिए गया था। वह और उसकी दादी अक्सर जानवरों के लिए घास काटने के लिए जाते थे। उस दिन वह लड़का घास काट रहा था और अचानक उसने देखा की एक पतंग कट कर हवा में बही जा रही थी। उसने दादी बोला की मैं अभी आता हूँ।  उसकी दादी बहुत ही खड़ूस थी। जैसे ही उसने बोला की मैं थोड़े देर में आता हूँ उसकी दादी गालियां देने लगी 😆😆😆मगर उस लड़ने ने एक सुनी और पतंग पकड़ने चला गया। बहुत सारे बच्चे उस पतंग को पकड़ने के लिए उसके पीछे भाग रहे थे। पतंग हवा के साथ उरकर एक घर के दिवार पर जा कर कील में फस गई।  Kite सारे बच्चे नीचे से उस पतंग को देखकर बस यही सोच रहे थे की इस पतंग को उतारे कैसे। क्युकी वह दिवार जो थी नदी के बांध के छिप्पकर थी और बांध के दुसरी तरफ पत्थर ही पत्थर थी। उस बांध की उचाई ल

Real Story - Part VIII

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दोस्तों यह कहानी का आठवां पार्ट है अगर आपलोगो ने पहले के पार्ट नहीं देखे है तो मैं अपने वेबसाइट का लिंक कहानी के अंत में दे दूंगा। आपलोग उस लिंक पर क्लिक कर के मेरे सारे ब्लोग्स के आर्टिकल्स पढ़ सकते है। दोस्तों अगर यह कहानी आपलोगो को अच्छी लगे तो मेरे ब्लॉग को फॉलो करना ना भूले।  Garbage उस लड़के को इलेक्ट्रॉनिक्स के चीजों में बहुत ज्यादा दिलचस्पी थी।  वह किसी भी इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों से उसके पार्ट्स जैसे की मोटर, चुम्बक, LED Bulb, इत्यादि सारे निकाल लेता था और अपने बैग में रख लेता था। वह लड़का उस समय पांचवी या छठी में था जिस समय उसने ख़राब रेडियो के बैटरी से गोबर गैस बनाता था और उससे LED Bulb जलाता था। वो कहते है न की  LED PRACTICAL KNOWLEDGE IS ALWAYS BETTER THAN THEORETICAL KNOWLEDGE.  उस समय वह Theoretically कुछ भी नहीं जनता था की कैसे गोबर गैस काम करता है और क्या Mechanism होता है, कुछ भी नहीं पता था।  एक दिन की बात है सरस्वती पूजा का दिन था और उसके स्कूल में मूर्ति बिठाई गयी और सजावट के लिए शिक्षक ने बच्चो को ही बोला।  Festival अब सारे बच्चे सजावट के काम में लग गए और शाम होते - होत

Real Story - Part VII

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दोस्तों यह कहानी का सातवा पार्ट है अगर आपलोगो ने पहले के पार्ट नहीं देखें है तो मैं अपने वेबसाइट का लिंक कहानी के अंत में दे दूंगा। आप उस लिंक पर क्लिक कर के मेरे सारे ब्लोग्स के आर्टिकल पढ़ सकते है। दोस्तों अगर ये कहानी आपलोगो को अच्छी लगे तो मेरे ब्लॉग को फॉलो करना ना भूले।  समय बीतता गया और समय के साथ उसका पढाई करने की इक्षा कम होती गयी। वो लड़का स्कूल आता और जैसे ही अटेंडेंस होती वह स्कूल से निकल जाता और अपने दोस्तों के साथ नदी में नहाने और घूमने चला जाता था।  Playing in River जब लंच का समय होता तो वो और उसके दोस्त स्कूल में आते और खाना खा के फिर से खेलने निकल जाते थे। शाम होते ही वो लोग आ जाते थे और स्कूल की छुट्टी होती और वो लोग अपने अपने घर चले जाते थे।  उस स्कूल के अधिकतर बच्चे ऐसे ही करते थे और शिक्षक भी कुछ नहीं बोलते थे क्युकी उनको भी आराम करने का समय मिल जाता था। उस स्कूल के ज्यादातर बच्चे छोटे से उम्र से ही काम करते थे स्कूल तो सिर्फ बहाना था खाने का और सरकार के तरफ से जो भी पैसे या कपड़े मिलते थे उसे लेने का।  इस लड़के का एक दोस्त था जो स्कूल के समय पर भी आइस-क्रीम बेचता था।

Real Story - Part VI

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दोस्तों ये कहानी का छठा पार्ट है अगर आपलोगो ने पहले के पार्ट नहीं पढ़े है तो आप मेरे वेबसाइट पर जा कर पढ़ सकते है। मैं अपने वेबसाइट का लिंक कहानी के अंत में दे दूंगा आप उस पर क्लीक कर के पहले के पार्ट पढ़ सकते है। दोस्तों अगर ये कहानी आपलोगो को अच्छी लगे तो मेरे ब्लॉग को फॉलो करना न भूले।  धीरे - धीरे उसके दोस्तों की संख्या बढ़ती गयी और वो लड़का अब स्कूल में पढाई के साथ - साथ खूब मस्ती भी करने लगा। परीक्षा का दिन नजदीक आने लगा मगर उस लड़के को कोई टेंशन नहीं होता था क्युकी परीक्षा को कोई भी गंभीर रूप से नहीं लेता था। सब जानते थे की अगर नहीं भी कुछ लिखा तो सब बच्चो को पास कर दिया जायेगा।  Exam परीक्षा का दिन आया सब लोगो को प्रश्न पत्र बाट दिया गया और शिक्षक अपने कुर्सी पर स्वेटर बुनती बैठ गयी। सब बच्चे एक - दूसरे से देख - देख कर लिखने लगे। ऐसे ही सारे परीक्षा हुए और अंतिम परीक्षा में सरकार के तरफ से कोई सरकारी कर्मचारी देखने आता था तो शिक्षक ने सब बच्चो को चेतावनी पहले ही दे दी थी।  Fun Time परीक्षा खत्म हुई और सारे बच्चे अपने - अपने घर चले गए। अंतिम परीक्षा के बाद कुछ दिनों की छुट्टी होती थी

Real Story - Part V

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दोस्तों ये कहानी का पांचवा पार्ट है अगर आपलोगो ने पहले के पार्ट नहीं देखे है तो आप मेरे वेबसाइट पर जाकर पढ़ सकते है। मैं अपने वेबसाइट का लिंक निचे दे दूंगा आप उसपर क्लिक कर के पढ़ सकते है। दोस्तों अगर ये स्टोरी अगर आपको अच्छी लगे तो मेरे ब्लॉग को फॉलो करना न भूले।  स्कूल का तीसरा दिन, उस दिन सारे बच्चो को 1 से लेकर 100 तक याद करने के लिए दिया और बोला की 2 घण्टे में याद करके सारे क्लास के सामने सुनाना है। सारे बच्चे याद करने में लग गए, शिक्षक का चेहरा देखकर ही बच्चे घबरा जाते थे 😟😟और उसपर से ये टास्क पूरा करना।  उस समय उस बच्चे के दिमाग में पहली बार ये ख्याल आया की पढाई किसने और क्यों बनाई।  😂😂😂 2 घण्टे के बाद अब  बारी आई क्लास के सामने सुनाने की एक - एक कर के सभी को आगे जाकर वो गिनती सुनानी थी। एक बच्चा आगे गया और सुनाना  शुरू किया मगर वो 20 तक भी अच्छे से नहीं सुना पाया 😅😅😆 फिर तो उसकी जो धुनाई हुई 😂😂 जिन बच्चो को याद भी हुआ होगा वह उस पिटाई को देखकर सारे गिनती भूल गए होंगे।  धीरे धीरे सारे बच्चे मुर्गे बनने लगे 😂😆😅 मगर उस दिन उस  लड़के की किस्मत अच्छी थी की उसकी बारी आने से

Real Story - Part IV

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दोस्तों ये कहानी का चौथा पार्ट है अगर आपलोगो ने पहले तीन पार्ट नहीं पढ़े है तो सबसे पहले आप उस पार्ट को पढ़िए।  मैं अपने वेबसाइट का लिंक निचे दे दूंगा आप उसपर क्लिक कर के पढ़ सकते है। अगर ये कहानी आपलोगो को अच्छी लगे तो इसे शेयर करना ना भूले।  स्कूल का दूसरा दिन, रोज की तरह वो तैयार होकर स्कूल के लिए निकला, स्कूल पहुंचते ही वह अपनी बैठने की जगह खोज के बैठ गया। स्कूल में यह नियम था की हर बच्चो को अलग अलग दिन क्लास की सफाई करनी पड़ती थी। सफाई करने के बाद प्रार्थना किया जाता था जिसमे से कुछ बच्चे आगे जा के प्रार्थना बोलते और दूसरे बच्चे उसको दोहराते। ये तो सब जानते है की स्कूल के सुरुआती दिनों में किसी भी बच्चे का मन नहीं करता स्कूल जाने को जबतक पापा से पिटाई नहीं खाई तब तक जाने को मन नहीं करता। 😅😅😅😅 पढाई सुरु हुई और आप समझ सकते है की जिस क्लास में पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा के बच्चे हो तो पढ़ाई कम और आवाज ज्यादा होती है तो वहा भी यही हाल था।  शिक्षक हमें पढ़ाते और हम सब दोहराते मगर दिक्कत ये थी की पहली से लेकर आठवीं तक को एक ही चीज पढाई जाती थी।😕😕😕😕😕 वो तो बाद में पता चला की

Real Story - Part III

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दोस्तों यह कहानी का तीसरा पार्ट है। अगर जिसने पहले दो पार्ट को नहीं पढ़ा है उसके लिए मैं  लिंक निचे दे दूंगा आपलोग उसपर क्लिक कर के पहले दो पार्ट को पढ़ सकते हैं। पहला दिन स्कूल का,  वो स्कूल के अंदर गया और उसने देखा की सारे बच्चे के पास चादर जैसी एक पैकेट थी जिसपर वो लोग बैठते थे। उस दिन उसके पास बैठने के लिए कुछ नहीं था जिसकी वजह से वो निचे जमीन पर ही बैठ गया। उन दिनों सरकारी स्कूलो में बैठने के लिए कोई टेबल और बेंच नहीं होता था। उसके स्कूल में जमीन मिट्टी की और एक बड़ा सा ब्लैक बोर्ड दिवार के साथ चिपका हुआ था। एक ही की कमरे में पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चे बैठते थे। अगर किसी दिन ज्यादा बच्चे आते तो कुछ बच्चे को कमरे से बाहर बिठाते थे। सबसे ज्याद परेशानी उनलोगो को बरसात के मौसम में होती थी क्युकि स्कुल का ऊपर वाला हिस्सा टूटा हुआ था जिसके कारण ऊपर से पानी टपकती थी और बैठने में परेशानी होती थी। उसके स्कूल का टाइमिंग सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम 4:00 बजे तक था और लंच का समय दोपहर 1:30 बजे थी। दोपहर का खाना स्कूल की तरफ से ही मिलता था। उस स्कूल के